रविवार व्रत म...
रविवार व्रत माहात्म्य, व्रत विधि, नियम एवं उद्यापन विधि
का आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक लाभ बताने जा रहे है। सनातन हिंदू व्रत और कथा वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक आधार पर आधारित है। सूर्य हमारे सौर मंडल का भी केंद्र बिंदु है और सभी ग्रहों के राजा भी। हमारे जीवन में सूर्य की अनुकूलता अति आवश्यक है। सूर्य अनुकूल तो सभी ग्रह अनुकूल रहते है। इन्हे प्रसन्न कर हम जीवन में हर खुशी पा सकते है।
रविवार के दिन सूर्य की किरणों में अद्भुत शक्ति होती है सभी रोगों की किटाणुओ और समस्त नकारात्मक शक्तियों को नष्ट कर सकारात्मकता से भरपूर करने की।इसलिए हम उपवास कर शुद्ध रह कर इन शक्तियों को ग्रहण करने के लिए सूर्य व्रत करते है |
रविवार व्रत के नियम –
भगवान सूर्य नारायण का व्रत एक वर्ष या 30 रविवारों तक अथवा 12 रविवारों तक करना चाहिए।
रविवार के व्रत में नमक नहीं खाना चाहिए |
रविवार का व्रत किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से शुरू करना चाहिए |
रविवार व्रत विधि - रविवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए। मन ही मन सूर्य देव का स्मरण करते हुए नित्य क्रिया ,स्नानादि से निवृत हो लाल वस्त्र धारण कर ले। फिर एक तांबे के लोटे में लाल चंदन,लाल फूल ,किशमिश, मिश्री,थोड़ा गंगाजल,डाल कर लोटे को शुद्ध जल से भरे , सिर लाल वस्त्र से ढके और एक लाल कंबल की आसनी ले कर सूर्यभिमुखी हो कर खड़े हो। कंबल को सामने रखे अपने पाव से आगे क्यू की अर्द्ध की धारा इसी कंबल पर गिराना है, धरती पर नहीं। सूर्य देव के आगे खड़े हो कर, हाथ में लोटा लिए, अपनी मनोकामना के लिए प्रार्थना करे फिर निम्न मंत्र से अर्द्ध दे।
मंत्र : ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।।
ॐ सूर्याय नमः, आदित्याय नमः, भास्कराय नम :
अब आप अपनी दाई ओर से घूमे अर्थात परिक्रमा करें इस मंत्र के साथ 3 बार ,
यानि कानी च पापाणी, ज्ञाता ज्ञात कृतानि च , तानी सर्वानी नश्यंतु प्रदक्षिणा पदेपदे ।
अब आप अपने घर के मंदिर में जाए और एक बजोट को साफ सूथरा कर के लाल कपड़ा बिछा दे। उस पर लाल चावल जो लाल रंग से रंगा हुआ है उसका ढेरी बना कर उसमे सूर्य यंत्र स्थापित करे । यदि संभव नहीं तो सूर्य तस्वीर ही रखे,और पांचोंपचार से पूजन | कच्चे धागे का हो दीप जलाए।फल फूल, नैवेद्य अर्पित करे लाल हो चढ़ाए , गुड़ का खीर चढ़ा सकते है । तदोपरांत सूर्य मंत्र “ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः” का १०८ बार जप या आदित्य हृदयस्तोत्र का पाठ करे । धूप दीप लगातार प्रज्वलित रखे । अब रविवार व्रत कथा को पढ़कर भगवान सूर्य देव की आरती कर क्षमा प्रार्थना करें | इस प्रकार विधिपूर्वक पूजन के पश्चात सारे दिन सरे दिन सूर्य देव का मनन करते रहे एवं फैला हर भोजन करे | शाम को सूर्यास्त के पहले पुनः सूर्य देव को भोग एवं आरती समर्पित करें | सूर्यास्त के बाद एक समय स्वयं भी भोजन कर सकते है | नमक का सेवन ना करें | गेहू की रोटी या गेहू का दलीय भोजन खा सकते है |
रविवार व्रत उद्यापन विधि :
अंतिम रविवार को व्रत का उद्यापन विधि पूर्वक करना चाहिए | इस दिन भी भगवन सूर्य देव को अर्घ दें और विधिवत पूजन करें | योग्य ब्राह्मण को बुलाकर हवन करवाये, भोजन करवाए, यथा शक्ति दान-दक्षिणा दें | एक अच्छे और योग्य दम्पति को बुलाकर भोजन करवाए एवं लाल वस्त्र उपहार में दें | इस प्रकार रविवार व्रत का संकल्प पूर्ण होता है |
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