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सोमवार व्रत महत्व, नियम, पूजा एवं उद्यापन विधि: मनोकामना पूर्ति हेतु इस प्रकार करें सोमवार व्रत
देवों के देव भगवान भोलेनाथ हिंदू धर्म में अति पूजनीय हैं। मन, वचन और कर्म से कोई भी मनुष्य पूरी श्रद्धा से यदि इनकी उपासना वा व्रत करे, तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती है। सोमवार का दिन शिव जी को समर्पित होता है साथ ही यह दिन चंद्रदेव का दिन भी माना जाता है | भगवान शिव भोले भंडारी है वो अपने भक्तो से अति शीग्र प्रसन्न हो जाते है और उनकी सभी मनोकामनायें पूर्ण करते है | मनोवांछित जीवन साथी, संतान प्राप्ती एवं स्वस्थ लाभ के लिए यह व्रत सर्वोत्तम बताया गया है साथ ही शिव जी एवं माता पार्वती की कृपा से वैवाहिक जीवन में चल रही परेशानियों का भी अंत होता है| अगर कुंडली में चंद्र गृह की स्थिति से जातक को मानसिक तनाव और कष्ट प्राप्त हो रहे है तो उसकी भी शांति होती है
सोमवार व्रत करने की विधि:
सोमवार व्रत का प्रारंभ सावन, चैत्र, वैशाख, कार्तिक या मार्गशीर्ष के महीनो के शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से ही करना चाहिए। सोमवार का व्रत तीन प्रकार से किया जाता है पहला सावन व्रत व्रत, दूसरा सौम्य प्रदोष व्रत तथा तीसरा सोलह सोमवार व्रत। तीनों ही व्रत में पूजा एवं व्रत की विधि एक जैसी ही है परन्तु तीनों की कथाएं अलग अलग है।
जिस भी सोमवार से व्रत शुरू करना हो उस दिन सुबह जल्दी उठे एवं नित्य कर्म से निवृत हो भगवन भोलेनाथ एवं माता पारवती की पूजा अर्चना करें एवं व्रत करने का संकल्प लें | अगर किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए व्रत कर रहे है तो वो भी कहें | भगवन शिव के मंदिर जाये एवं शिव लिंग का अभिषेक गाये के कच्चे दूध से करें और धुप, दीप, पुष्प, बेलपत्र, भोग समर्पित करें |
सोमवार व्रत का पूजन प्रदोष काल में किया जाता है अर्थात सूर्यास्त से एक घंटे पूर्व | प्रदोष काल में पुनः स्नान कर सफेद शुद्ध वस्त्र धारण करें और भगवन शिव की विधिवत पूजा करें | सबसे पहले भगवन श्री गणेश की पूजा करे फिर भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा करें | सोमवार व्रत में आटे के चूरमे का भोग लगाना बहुत फलदाई होता है। इसके पश्चात सोमवार व्रत कथा पढ़े एवं भगवन शिव के मंत्र "ॐ नमः शिवाय " का जप कम से कम १०८ बार जरूर करें तत्पश्चात आरती करें और अंत में क्षमा प्रार्थना जरूर करें | इस व्रत में दिन के समय एक टाइम फलाहार खा सकते है और शाम को पूजा के बाद एक वक्त फलाहारी या अनाजी सात्विक भोजन से इस व्रत को खोला जाता है।
सोमवार व्रत की उद्यापन विधि :
यदि साधारण सोमवार का व्रत किया हुआ है तो, पंडित द्वारा बताए गए उचित सोमवार को उद्यापन करना चाहिए। यदि सोलह सोमवार का व्रत किया है, तो सत्रहवे सोमवार को उद्यापन करना चाहिए। कई बार उचित तिथि को किसी कारण वश हम उद्यापन नहीं कर पाते, तो आगे आने वाले सोमवार को उद्यापन किया जा सकता है।
उद्यापन के लिए सवा सेर या फिर सवा किलो आटे का चूरमा बनाएं। धूप, दीप, वस्त्र, मौली, रौली, बेल पत्री, फूल माला, चंदन, घी, दूध, दही, शहद आदि से भगवान शंकर का अभिषेक करें। मां पार्वती जी को श्रंगार चढ़ाएं। ॐ नमः: शिवाय मंत्र का जाप कम से कम १०८ बार जरूर करें, हवन करें, ब्राह्मण को दान दें | इस शास्त्रोक्त विधि से जो भी मनुष्य पूरी भक्ति भावना पूर्वक सोमवार का व्रत करता है उसकी मनोकामना भगवान भोलेनाथ की कृपा से अवश्य पूर्ण होती है